सच्ची आजादी (देश प्रेम)

सच्ची आजादी (देश प्रेम)

वर्ष कई तो बीत गए क्या सचमुच तुम आजाद हुए
हां जश्न मना लो आजादी का, फहरा लो तिरंगा प्यारा
फिर उसके बाद गौर करो, मेरे इन सवालों पर
सोच समझ कर बतलाना क्या सचमुच हम आजाद हुए।

क्या मिली हमे है आजादी, भुखमरी और कंगाली से
क्या हम तुम हुए आजाद  विचारों की तंगहाली से
विश्व गुरु क्यों अब तक जूझ रहा अनपढ़ और गंवारों से
क्या सचमुच हम आजाद हुए धर्मों की दीवारों से।

क्यों आज भी कोख में बेटी जीने को तड़फ रही
क्यों आज भी दहेज के दावानल पर पदमिनियां कई झुलस रहीं
क्यों नही सुरक्षित आज भी हैं बच्चियां और बालाएं
ये बात का अगर जवाब कोई तो हमको भी जरा समझाएं।

क्यों सांस सांस के लिए जिंदगियां फना हो जाती हैं
क्यों निज स्वार्थ के धुएं से जिंदगी धुआं हो जाती है
क्यों सत्ता के गलियारों में अपराधी खुल्ला घूम रहे
क्यों देश को लूटने वाले छुट्टे सांड हर जगह झूम रहे।

बस आजादी है धर्म के नाम पे कुछ भी कर जाने की
हां है आजादी, बेशर्मी से कामचोरी फरमाने की
आजादी से सोच रहे सब, मुट्ठी भर तो लूट लूं मैं
मेरा पेट भरा रहे, देश का क्या है, देखा जायेगा।

15 अगस्त 26 जनवरी देश प्रेम उमड़े सबका
अगले ही दिन वही तिरंगा होता कपड़े का एक टुकड़ा
आजादी का मतलब हमको अभी समझना है
मुझसे पहले देश है मेरा, मंत्र अब यही रटना है।

जिस दिन देश का बच्चा बच्चा बात समझ ये जायेगा
सच कहता हूं आजाद हिंद का सपना सच हो जाएगा
सच कहता हूं आजाद हिंद का सपना सच हो जाएगा।।

आभार – नवीन पहल – १२.०२.२०२२ 🌹💐🤠🙏

# लेखनी काव्य वार्षिक प्रतियोगिता हेतु


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2 Comments

Swati chourasia

01-Mar-2022 03:58 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना 👌

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Seema Priyadarshini sahay

12-Feb-2022 06:43 PM

बहुत खूबसूरत

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